Thinking of you, when the stars go blue.. उलझा रहा हूँ

इस दफा एक एहसास हुआ,  जैसे खयालोंमे उलझा रहा हूँ
इत्तेफ़ाक़ से चेहरा दिखा , सोचू सुलझा या उलझा रहा हूँ

दुनिया थम सी गयी है दो पलों में, अनसुनी सी है ये रफ़्तार,
जो जीने की आह जग उठी है, मुश्किल सफ़र में उलझा रहा हूँ

पड़ी परची है कागज़ की जमीन पर, न कोई लिखावट ना ही स्याही
लिख लिए हैं आखर चार,  बाकी कितने सोचके उलझा रहा हूँ

कौन हूँ मैं, कितना है हौंसला, कौन हो आप, कितना है फासला
मरासिम रंजिशे सबबोंका सिलसिला, सुलझने कि आस में उलझा रहा हूँ

है दिले खुशमिज़ाज में जागी कोई धुन अजब तरानोंकी
चुनना चाहूँ साज आपका, जो बात बने, ख्वाहिश समझाने में उलझा रहा हूँ

दोस्ती है पर कुछ और है तमन्ना, रक़ाबत अछ्छाइयोंमे देखूं
शायद बदल न पाउ जो कदम उठाऊँ , दोराहे में खड़ा उलझा रहा हूँ

दरिया सा मन है मेरा , साहिल सी तुम हो ,
बेताब दरिया है साहिल से मिलने, अब साहिल के खयालोंमे उलझा रहा हूँ 

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